Wednesday, March 11, 2020

Taj Mahal ki kahaani Taj ki zubaani

मेरे प्यारे दोस्तों, 
मैं आपके प्यारे से शहर में आ गया हूँ। मुझे आपका आगरा बहुत अच्छा लगा। शाहजहाँ जब मुझे यहाँ लाये, तो मुझे ये यमुना नगरी कुछ अलग और निराली सी लगी।  यहाँ की कल- कल बहती यमुना की धारा और स्वच्छ जल, हिलौरें लेती हुई लहरों ने मेरा मन मोह लिया और फिर मैं यहीं बस गया।  

पता है दोस्तों, मैने इस शहर को अपना नाम भी दे दिया।  तो क्या आपको पता है कि मेरा नाम क्या है? जी हाँ आपने सही सोचा। मैं हूँ आपका अपना ताजमहल और फिर शहर को नाम दिया ताजनगरी।विदेशों मैं तो लोग मुझे ताज के नाम से ही जानते हैं।  

मैं यमुना नदी के किनारे ही बसा हूँ।  मुझे 20000 कारीगरों ने 22 सालों में कड़ी मेहनत से तराशकर ताज पहनाया है, जिसे शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज़ महल के नाम से ताजमहल का नाम दे दिया। मुझे आप लोग इतनी दूर- दूर से देखने आते हो, मगर जब छोड़ जाते हो तो गंदा कर जाते हो। मेरे ऊपर गंदगी फैला जाते हो।  उसके बाद जब मैं अपने आप को देखता हूँ तो बहुत दुःखी होता हूँ।   

अच्छा दोस्तों, मैं आप लोगों से ही एक सवाल पूछता हूँ कि- आप लोग मेरे ऊपर क्यों लिखते हो? क्या आपको इस बात का कुछ अन्दाज़ा भी है कि मुझे उस समय कितना दर्द होता है? अरे भई! जब लिखना ही है तो कॉपी और पेन का इस्तेमाल करो, उस पर अपने विचार व्यक्त करो, और आज कल तो लोग ब्लोग्स भी लिखते हैं।  

अब अगर आप ही लोग मेरी चिंता नहीं करोगे तो कौन करेगा? बताइये ज़रा? क्या मेरे लिए मेरा दूसरा शाहजहाँ आएगा?

मैंने कई बार पर्यटकों को कहते सुना हैं कि अब ये ताजमहल वैसा नहीं रहा- उतना सुन्दर, अद्भुत, खूबसूरत- वो सफ़ेद संगमरमर वाला ताजमहल। तो मैं मन-ही-मन सोचता हूँ कि मेरी ये हालत करी भी तो आप ही लोगों ने है। 

जब मेरे पास पर्यटक आते हैं तो सब एक बार मेरी चोटी पकड़कर फोटो ज़रूर खिचवाते हैं। उस समय मुझे दर्द भी होता है और हँसी भी बहुत आती है। आजकल लोग मेरे साथ सेल्फी भी लेते हैं। तब मैं भी खूब ज़ोर- ज़ोर से हँसता हूँ और मन-ही-मन इठलाता हूँ कि वाह! मेरे साथ ली गयी सेल्फी कोई मुझे भी दिखाए। मगर कोई दिखाता ही नहीं कि मैं फोटो मैं दिख कैसा रहा हूँ। 

अभी थोड़े दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी मुझसे मिलने आये थे। उनके साथ अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप भी आयीं थी। उन दोनों ने भी मुझे खूब देर देखा, समझा और मेरे बारे मैं कई सवाल भी पूछे।  वो दोनों ही मेरी सुंदरता को देख कर बहुत ही अचम्भित हुऐ और मुझसे मिलकर काफी खुश भी थे।  जिस तरह से मुझे प्रेम का प्रतीक माना जाता है, उसी प्रेम की मिसाल देते हुए वो दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर घूम रहे थे।  उस दिन सारे न्यूज़ चैनलों पर मैं ही चमक रहा था। उसके अगले दिन तो मुझसे ढेर सारे पर्यटक मिलने आये और सुबह से ही मेरे आस-पास बहुत भीड़ हो गयी। जब कि पहले से ही सात अजूबों में, मेरा नाम शामिल है मगर, उस दिन के बाद तो मेरी महत्ता और भी ज़्यादा बढ़ गयी है। 

दोस्तों जब पहले बारिश आती थी तो मैं बहुत नहाता था। उफनती हुई यमुना के जल में जब बबूले बनते थे तब बड़ा ही मज़ा आता।  मैं खुद को बड़ा तरोताज़ा महसूस करता।  ऐसा मन करता था कि जैसे मोर खुश होकर खूब पंख फैलाकर नाचता है वैसे ही मैं भी नाचूँ, मज़े करूँ। मगर अब वैसा बिलकुल भी नहीं रह गया है।  अब मैं बारिश से बचकर रहना चाहता हूँ क्यूंकि वो मुझे सफ़ेद से पीला कर जाती है। 

मैं तो सूर्य की पहली किरण से कली की तरह मुस्कुराता हूँ और फूल की तरह खिलता हूँ, फिर आप सभी को महकाता हूँ जिसकी खुशबू को आप सभी अपने घरों तक ले जाते हैं। 

दोस्तों आपको ये तो पता ही है कि मैं तो सफ़ेद संगमरमर से बना हूँ  पर ये नहीं पता होगा कि मेरा साथी, यानी काला ताजमहल  शाहजहाँ की कल्पनाओं में ही रह गया। जब उनकी वसीयत से मैंने ये रहस्य पढ़ा तो मुझे बहुत दुःख हुआ। मैं  सोचता हूँ की काश! आज मेरा मित्र काला ताजमहल होता तो कितना अच्छा लगता। वह तो यमुना नदी की दूसरी ओर खड़ा होता। हम दोनों ही दुनिया की प्रसिद्धि पाते। वह तो मेरी सुंदरता को दोगुनी कर देता। हम दो आजकल क्या कहते हैं उसे- BEST FRIENDS FOREVER की तरह जाने जाते। 
दोस्तों मुझे आप लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगता है। मैं सुबह तरोताज़ा और अच्छा दिखता हूँ। गोधूलि मुझे गुलाबी रंग से रंग देती है। लोग मेरी सुंदरता को अपने कैमरों में कैद कर ले जाते हैं। दोपहर की चिलचिलाती धूप के बाद, मैं शाम को काफी आराम महसूस करता हूँ। शाम को जब चँदा मामा अपनी चाँदनी बिखेरते हैं तो मानो वह अपने आँचल में मुझे ढक लेते हों। जो लोग सुबह नहीं उठ पाते हैं तो वो मुझे शाम को मिलने आते हैं। 

तो दोस्तों ये था हमारा अपना ताजमहल जो हमसे अभी बातें कर रहा था। वो हमें बार- बार यही समझाने की कोशिश कर रहा था कि - हे मानव! जाग जाओ। मुझे और देश मैं फैले हुए मेरे साथियों को बचाओ । हमारा ध्यान रखो जैसे किसी एक नवजात का रखा जाता है। हमसे भी प्यार करो।
तो दोस्तों मेरे साथ प्रतिज्ञा लीजिये कि अब हम कोई भी इमारत के आस-पास गंदगी नहीं फैलाएंगे, उस पर कुछ नहीं लिखेंगे और वातावरण भी साफ़ रखेंगे। ये इमारतें ही तो हमारे देश का गौरव हैं और उसकी शान ही हमारी पहचान है।  

  


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